शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

ईश्वर के साथ प्रश्नोत्तर

स्वप्नावस्था से जागृति की ओर ईश्वर के साथ

प्रश्नोत्तर:-

(परिस्थितियाँ): बहन गई, माँ सो गई, बच्चे भी अब मुकर गये;

(प्रश्न:) कई विरोधी देते हैं ललकार, मुझे उठना है ?

इतनी विषम परिस्थितियों में भी मुझे उठाना है प्रभु ??

(उत्तरः) नहीं, तू तो कुछ भी नहीं,,,मेरे हाथों के हथियार ! तुझे उठना है।१।

(समस्या): उठना है ? चलना है ??

( उत्तर: ) हाँ, हाँ,, एम्बुलेंस की नही जरूरत, अब बेलेंस बनाओ;

चलने में, सब कुछ करने में, समता ही अपनाओ ।।

(अन्तर्द्वन्द्व ): फिर भी केहरि-नाद इसी समरांगण में ?

(उत्तरः) हाँ, अरे पितामह! तुझको ही करना होगा,

....मेरी ताकत की तलवार ! तुझे चलना होगा ।।२।।

(वास्तविकता): लो, स्वीकारो,

इन मोतियन को निकले अन्तर से (आत्म-समर्पण);

(ईश्वरेच्छा): नहीं, नहीं गिरने दूँगा,, बस ले लूँगा अन्तर से,

भींगी पलकों से गालों तक, मेक-अप तेरा करूँगा,,

शुष्कानन को मात्र देख मत; उठ, चल, सब करना है,

साथ भले ना दे शरीर पर; ईश्वर साथ रहेगा ।।३।।(आत्म-विश्वास); मेरे हाथों के हथियार ! तुझे उठना है,

मेरी ताकत की तलवार ! तुझे चलना है ।।

(मूकं करोति वाचालम्):

वाह् प्रभु वाह !! क्या करवायेंगे ? कुछ भी पता नही है,

क्या होना है, क्या करना है, कुछ भी पता नही है;

जितनी भी सेवा लेनी हो, इस तन-मन से ले लो ।

लौट आया कर्तव्य-पथिक अब जो चाहो करवालो।।

हरि उठेगा, हरि चलेगा,, केहरि-नाद बजेगा ।

साथ भले ना दे शरीर पर ईश्वर साथ रहेगा ।। ४ ।।

मेरी ताकत की तलवार ! तुझे चलना होगा ..............

(फिर एक विचार उठा): शारदीय नव-रात्र, शारदा आवाहन है ?

(सच है):-''ऋषीणां पुनराद्यानां वाचम् अर्थो'नुधावति””

द्वापर-युग का खेशशिगुण आरोहणाब्द है,

शारदीय नवरात्र आज ये कवि का दिन है ।।

हरि उठेगा, हरि चलेगा,, केहरि-नाद बजेगा;

साथ भले ना दे शरीर पर ईश्वर साथ रहेगा.

२५ सितम्बर २००९ श्रीकृष्णार्पणमस्तु