स्वप्नावस्था से जागृति की ओर ईश्वर के साथ
प्रश्नोत्तर:-
(परिस्थितियाँ): बहन गई, माँ सो गई, बच्चे भी अब मुकर गये;
(प्रश्न:) कई विरोधी देते हैं ललकार, मुझे उठना है ?
इतनी विषम परिस्थितियों में भी मुझे उठाना है प्रभु ??
(उत्तरः) नहीं, तू तो कुछ भी नहीं,,,मेरे हाथों के हथियार ! तुझे उठना है।१।
(समस्या): उठना है ? चलना है ??
( उत्तर: ) हाँ, हाँ,, एम्बुलेंस की नही जरूरत, अब बेलेंस बनाओ;
चलने में, सब कुछ करने में, समता ही अपनाओ ।।
(अन्तर्द्वन्द्व ): फिर भी केहरि-नाद इसी समरांगण में ?
(उत्तरः) हाँ, अरे पितामह! तुझको ही करना होगा,
....मेरी ताकत की तलवार ! तुझे चलना होगा ।।२।।
(वास्तविकता): लो, स्वीकारो,
इन मोतियन को निकले अन्तर से (आत्म-समर्पण);
(ईश्वरेच्छा): नहीं, नहीं गिरने दूँगा,, बस ले लूँगा अन्तर से,
भींगी पलकों से गालों तक, मेक-अप तेरा करूँगा,,
शुष्कानन को मात्र देख मत; उठ, चल, सब करना है,
साथ भले ना दे शरीर पर; ईश्वर साथ रहेगा ।।३।।(आत्म-विश्वास); मेरे हाथों के हथियार ! तुझे उठना है,
मेरी ताकत की तलवार ! तुझे चलना है ।।
(मूकं करोति वाचालम्):
वाह् प्रभु वाह !! क्या करवायेंगे ? कुछ भी पता नही है,
क्या होना है, क्या करना है, कुछ भी पता नही है;
जितनी भी सेवा लेनी हो, इस तन-मन से ले लो ।
लौट आया कर्तव्य-पथिक अब जो चाहो करवालो।।
हरि उठेगा, हरि चलेगा,, केहरि-नाद बजेगा ।
साथ भले ना दे शरीर पर ईश्वर साथ रहेगा ।। ४ ।।
मेरी ताकत की तलवार ! तुझे चलना होगा ..............
(फिर एक विचार उठा): शारदीय नव-रात्र, शारदा आवाहन है ?
(सच है):-''ऋषीणां पुनराद्यानां वाचम् अर्थो'नुधावति””
द्वापर-युग का खेशशिगुण आरोहणाब्द है,
शारदीय नवरात्र आज ये कवि का दिन है ।।
हरि उठेगा, हरि चलेगा,, केहरि-नाद बजेगा;
साथ भले ना दे शरीर पर ईश्वर साथ रहेगा.