शतं जीव शरदो वर्धमानः
२००९ वर्ष, किसी एक मानव का ?
हम क्यों मनाएं ? इस वर्ष की विशेषता ?
हमारा भी अपना कोई वर्ष तो है ।
मैं क्यों मनाऊं ?
मैं कौन ? आत्म चिंतन, नही ; चिंतित भी क्यों ? मै तो .......
अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् ।
सदा मे समत्वं न मुक्तिर्न बन्धः चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽ हम् ॥
चिति शक्ति के साथ साथ सबको आनंद कराते रहना, २+०+०+९=" नो दो ग्यारह" ??
रविवार, 28 दिसंबर 2008
बुधवार, 10 दिसंबर 2008
तेरे पूजन को भगवान
तू इसमें बैठा रहता है, निश-दिन काम करा लेता है ॥
तेरी गरिमा के गुण-गान, गाऊं दिल से मन में जान ॥ १॥ तेरे पूजन को भगवान ******
किसने जानी तेरी माया, किसने भेद तुम्हारा पाया ॥
तेरी लीला ईश महान, कराता नये नवेले काम ॥ २॥तेरे पूजन को भगवान *********
मैने जानी तोरी माया , मैने भेद आपका पाया ॥
आप हो सच्चाई की खान, सदा रहते हो अंतर्ध्यान ॥ ३॥ तेरे पूजन को भगवान ************
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
सदस्यता लें
संदेश (Atom)