रविवार, 28 दिसंबर 2008

२००९ वर्ष

शतं जीव शरदो वर्धमानः
२००९ वर्ष, किसी एक मानव का ?
हम क्यों मनाएं ? इस वर्ष की विशेषता ?
हमारा भी अपना कोई वर्ष तो है
मैं क्यों मनाऊं ?
मैं कौन ? आत्म चिंतन, नही ; चिंतित भी क्यों ? मै तो .......
अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्
सदा मे समत्वं न मुक्तिर्न बन्धः चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽ हम् ॥
चिति शक्ति के साथ
साथ सबको आनंद कराते रहना, २+०+०+९=" नो दो ग्यारह" ??

बुधवार, 10 दिसंबर 2008

तेरे पूजन को भगवान

तेरे पूजन को भगवान , बना मन-मन्दिर आलीशान :ध्रुव पद:
तू इसमें बैठा रहता है, निश-दिन काम करा लेता है
तेरी गरिमा
के गुण-गान, गाऊं दिल से मन में जानतेरे पूजन को भगवान ******
किसने जानी तेरी माया, किसने भेद तुम्हारा पाया
तेरी लीला ईश महान, कराता नये नवेले कामतेरे पूजन को भगवान *********
मैने जानी तोरी माया , मैने भेद आपका पाया ॥
आप हो सच्चाई की खान, सदा
रहते हो अंतर्ध्यान ॥ ३॥ तेरे पूजन को भगवान ************
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