बाहर का उजियाला देखो अंतर्दीप जलाओ , मेरे प्यारे मित्रों निश-दिन दीपक ख़ुद बन जाओ ॥
मन मन्दिर का दीपक हमको संप्रभुता दिखलाता , बाह्य जगत के अन्धकार का दिग्दर्शन करवाता ॥
अपने दिल की दीप-मालिका सबको हर्षित करती , आठों प्रहर आनंद कराती सदा दिवाली लाती ॥
सभी नमस्ते इन्दो वाले तामायो को मिलते , तम-तमाट को दूर भगाते प्यार सबों को देते ॥
होली-दिवाली को मिलकर आनंदित हो जाते , एक दूसरे सहयोगी बन सुंदर कर्म कराते ॥
बुधवार, 29 अक्तूबर 2008
बुधवार, 15 अक्तूबर 2008
तारीख २६ ओक्टोबर २००८ जापान आयुर्वेद सोसाइटी
सायोनारा सायोनारा , क्यो वा हितोमाजु सायोनारा,,
आयुर्वेद गाक्काई नी, माता माईरिमासु सायोनारा.. स्थायी० ॥
सांजुक्काई नो गाक्काई नी, ONE - DAY सेमिना आताराशिकू ,
इरोन्ना बेन्क्यो देकिमाशिता, योकात्ता ओ योकात्ता,,
माइतोशि माइतोशि त्सुजुकेमाशो, माता माईरिमासु सायोनारा..१ .. आताताकाई कान्गेई ओ , मिनासान् नी आगेमाशो ,
तोतेमो उरेशी मिनासामा आताराशि आताराशि वाकात्ता ,,
आयुर्वेद गाक्काई नी, माता माईरिमासु सायोनारा.. २..
इनोचि तो केंको तो इचिबान् , ओकाने वा नी नो त्सुगि का ,,
दाईसान् फुफु नो सियावासे , ऐहोरे ओ = आइ होरे ,,
कामीसामा नो शुकु फुकु दे, माता माईरिमासु सायोनारा..३..
गाक्काई मिनासामा हात्तें शी , ह्याकुसाईमादे इकिरारेमाशो ,,
आयुर्वेद केंक्यु ओ , निप्पोन् सेहु वा मितोमेमाशो ,,
ऐहोरे वा इनोरिमासु , क्यो वा हितोमाजु सायोनारा.. ४ ..
धन्यवाद ..फॉर ३० वीं अंनुअल मीटिंग ओसाका -ताकराज़ुका ..
सायोनारा सायोनारा , क्यो वा हितोमाजु सायोनारा,,
आयुर्वेद गाक्काई नी, माता माईरिमासु सायोनारा.. स्थायी० ॥
सांजुक्काई नो गाक्काई नी, ONE - DAY सेमिना आताराशिकू ,
इरोन्ना बेन्क्यो देकिमाशिता, योकात्ता ओ योकात्ता,,
माइतोशि माइतोशि त्सुजुकेमाशो, माता माईरिमासु सायोनारा..१ .. आताताकाई कान्गेई ओ , मिनासान् नी आगेमाशो ,
तोतेमो उरेशी मिनासामा आताराशि आताराशि वाकात्ता ,,
आयुर्वेद गाक्काई नी, माता माईरिमासु सायोनारा.. २..
इनोचि तो केंको तो इचिबान् , ओकाने वा नी नो त्सुगि का ,,
दाईसान् फुफु नो सियावासे , ऐहोरे ओ = आइ होरे ,,
कामीसामा नो शुकु फुकु दे, माता माईरिमासु सायोनारा..३..
गाक्काई मिनासामा हात्तें शी , ह्याकुसाईमादे इकिरारेमाशो ,,
आयुर्वेद केंक्यु ओ , निप्पोन् सेहु वा मितोमेमाशो ,,
ऐहोरे वा इनोरिमासु , क्यो वा हितोमाजु सायोनारा.. ४ ..
धन्यवाद ..फॉर ३० वीं अंनुअल मीटिंग ओसाका -ताकराज़ुका ..
शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2008
निर्वाण / आत्म षट्क
मनो बुध्यहंकार चित्तानि नाहं, न च श्रोत्र जिव्हे न च घ्राण नेत्रे ।
न च व्योम भूमिर्न तेजो न वायुश् चिदानन्द रूपः शिवो/हं शिवो/ हम् ॥
न च प्राण संज्ञो न वै पंच वायुर् न वा सप्त धातुर्न वा पंचकोषः ।
न वाक् पाणि पादो न चोपस्थ पायुश् चिदानन्द रूपः शिवो/हं शिवो/ हम् ॥
न मे लोभ मोहौ न मे द्वेष रागौ मदो नैव मे नैव मात्सर्य भावः ।
न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्षः चिदानन्द रूपः शिवो/हं शिवो/ हम् ॥
न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुक्खं न मंत्रो न तीर्थँ न वेदा न यज्ञाः ।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूपः शिवो/हं शिवो/ हम् ॥
न मे मृत्युशंका न मे जातिभेदः पिता नैव मे नैव माता न जन्म ।
न बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्यः चिदानन्द रूपः शिवो/हं शिवो/ हम् ॥
अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् ।
सदा मे समत्वं न मुक्तिर्न बन्धश् चिदानन्द रूपः शिवो/हं शिवो/ हम् ॥
न च व्योम भूमिर्न तेजो न वायुश् चिदानन्द रूपः शिवो/हं शिवो/ हम् ॥
न च प्राण संज्ञो न वै पंच वायुर् न वा सप्त धातुर्न वा पंचकोषः ।
न वाक् पाणि पादो न चोपस्थ पायुश् चिदानन्द रूपः शिवो/हं शिवो/ हम् ॥
न मे लोभ मोहौ न मे द्वेष रागौ मदो नैव मे नैव मात्सर्य भावः ।
न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्षः चिदानन्द रूपः शिवो/हं शिवो/ हम् ॥
न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुक्खं न मंत्रो न तीर्थँ न वेदा न यज्ञाः ।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूपः शिवो/हं शिवो/ हम् ॥
न मे मृत्युशंका न मे जातिभेदः पिता नैव मे नैव माता न जन्म ।
न बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्यः चिदानन्द रूपः शिवो/हं शिवो/ हम् ॥
अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् ।
सदा मे समत्वं न मुक्तिर्न बन्धश् चिदानन्द रूपः शिवो/हं शिवो/ हम् ॥
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